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रेप

नारीवादी चेतना की अंतसः सूक्ष्मताओं को बखूबी उजागर करने वाली यह कहानी लेखिका की सर्वाधिक चर्चित कहानियों में से एक है. 'हार्पर कॉलिन्स बुक ऑफ़ ओडिया शोर्ट-स्टोरीज' में संकलित इस कहानी का अनुवाद विश्व की महत्त्वपूर्ण भाषाओँ जैसे अँगरेज़ी , फ्रेंच, स्पेनिस, जर्मन तथा चीनी आदि में हो चुका है साथ ही साथ भारत की क्षेत्रीय भाषाओँ तेलुगु, मलयालम,बंगला ,उर्दू तथा मराठी में भी यह कहानी अनूदित हो चुकी है । यह ही नहीं , हमारे पडोसी देश बंगलादेश से यह कहानी बंगला भाषा में तथा पाकिस्तान से उर्दू भाषा में प्रकाशन हो चुका है । 1989 में लिखी गई इस कहानी का प्रथम पाठ लेखिका द्वारा 'भारत भवन' भोपाल में किया गया । ओडिया-साहित्य में यह कहानी अपने प्रकाशन के समय से चर्चा का विषय बनी ,जो अभी तक तर्क- वितर्क से परे नहीं है - रेप ऐसी बात नहीं थी कि उन दोनों में छोटी-मोटी घरेलू बातों को लेकर झगड़े नहीं होते थे । वे दोनों भी आपस में कुत्ते-बिल्ली की तरह झगड़ते थे, कभी दुनियादारी की छोटी-छोटी बातों को लेकर, तो कभी बच्चों के लालन-पालन को लेकर या फिर कभी -कभार अपने व्यक्तिगत वैचारिक मतभेदों को लेकर